5 Simple Statements About madhur ka paryayvachi shabd Explained

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यदि इंसान सिर्फ दौलत के बारे में ही सोचता रहे तो लोगों की सेवा कब करेगा. – दौलत

धन का प्रयोग वाक्य में कैसे किया जाता है?

दीपक – प्रदीप, दीप, दीया, ज्योति, चिराग। 

पंडित जी के पास ज्ञान की जो सम्पदा है उसकी थाह नहीं लगाई जा सकती. – सम्पदा

चाँदी – जातरूप, रजत, रुपक, रूपा, कलधौत, रूप्य, खर्जूर।

ज्वाला – लपट, लौ, अग्निशिखा, ज्योति, शिखा, गर्मी, ताप, जलन।

 उत्पत्ति – उद्भव, जन्म, जनन, आविर्भाव ।

चंद्रमा – सुधाकर, शशांक, रजनीपति, निशानाथ, सुधांशु।

उषा – सुबह, भोर, भिनसार, अलस्सुबह, ब्रह्ममुहूर्त।

अंतरिक्ष – खगोल, नभमंडल, गगनमंडल, आकाशमंडल।

इससे ये शब्द हमारे दिमाग में पैठने लगते हैं. तो इन्हे भूलने का प्रश्न ही नहीं उठता.

ब्राह्मण – विप्र, द्विज, भूसुर, भूदेव,बाभन।

बचपन – बालपन, लड़कपन, more info बाल्यावस्था, बचपना।

अश्व – घोड़ा, तुरंग, घोटक, रविसुत, आशुविमानक, हय, तुरंगम, वाजि, सर्ता सैंधव, रविपुत्र।

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